jaishankar prasad jeevan parichay in hindi – जयशंकर प्रसाद जीवन परिचय निम्न बिन्दुओं के आधार पर लिखों –
- जीवन परिचय
- शिक्षा
- साहित्य में स्थान
- कला-पक्ष
- भाव-पक्ष
- प्रमुख कृतियां/रचनाएं
- भाषा, शैली
jaishankar prasad jeevan parichay
जीवन परिचय – जयशंकर प्रसाद जी एक कवि, नाटककार, उपन्यासकार तथा निबंधकार थे। जयशंकर प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी 1890 को उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में हुआ था। यह एक साहू वैश्य परिवार से ताल्लुकात रखते थे। इनकी 17 वर्ष की उम्र में अपने पिता की मृत्यु हो जाने के कुछ समय बाद ही इनकी माता एवं भाई का देहान्त भी हो गया था। अपने जीवन में जयशंकर प्रसाद जी के द्वारा बहुत परेशानियां उठाई गई हैं।
प्रसाद जी अपने जीवन में शतरंज के खेल के अच्छे खासे खिलाडी माने जाते हैं। इनके जीवन में इन्होने दो विवाह किये थे। इनकी पहली पत्नि का नाम विंध्यवाटिनी तथा दूसरी पत्नि का नाम कमला देवी था। इनको एक पुत्र भी था जिसका नाम रत्नशंकर था। इन्होने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण रचनाओं को लिखा था। शंकर जी के द्वारा नाटको की रचना में अधिक बल दिया। इनके द्वारा हिन्दी काव्य में छायावाद की स्थापना की गई थी एवं जीवन में यह छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक गिने जाते थे। जयशंकर प्रसाद जी का 48 वर्ष की उम्र में (15 नवम्बर 1937 को) ही जीवन समाप्त हो गया।
शिक्षा – जब जयशंकर प्रसाद जी छोटे थे। तो उनके पिताजी के द्वारा घर पर ही संस्कृत, हिन्दी, फारसी, एवं उर्दू के शिक्षकों को प्रसाद की पढाई के लिये आमंत्रित किया गया था। शिक्षा पूर्ण होने के बाद इन्होने कॉलेज में दाखिला लिया एवं सभी आर्थिक परेशानियों के चलते इन्होने केवल कक्षा 8वी तक की शिक्षा को प्राप्त किया था।
साहित्य में स्थान –
प्रसाद जी के द्वारा अपने जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में स्वंय की प्रतिभा को प्रदर्शित किया है। ऐसा कहा जाता है कि जब तक हिन्दी का साहित्य रहेगा जब तक जयशंकर प्रसाद जी को स्मरण किया जायेगा।
कला-पक्ष – जयशंकर प्रसाद जी के काव्य में एवं अनेक रचनाओं में पूर्ण सशक्त एवं संतुलित देखने को मिलता है। इन्होने अपनी भाषा में शैली, छंद योजना, अलंकरण पर काफी बल दिया है।
भाव-पक्ष – जयशंकर प्रसाद जी का भाव-पक्ष में प्रेम, सौन्द्रर्य, रहस्यानुभूति, देश प्रेम, प्रक्रति चित्रण और धर्म इत्यादि विविध विषयों पर देखने को मिलता है। प्रसाद जी की रचनाओं में सौन्दर्य वर्णन भी सजी, सटीक और मोहक सा जान पडता है।
प्रमुख कृतियां/रचनाएं – जयशंकर प्रसाद जी के द्वारा कई नाटक, काव्य संग्रह, निबंध, कहानी, उपन्यास, इत्यादि की रचना की गई है। इनके द्वारा प्रमुख काव्य संग्रह इस प्रकार हैं। (कामायनी, आंसू, लहर, कानन-कुसुम, झरना), एवं अन्य प्रमुख रचनाए- (चित्राधार, प्रयाणगीत, भारत महिमा, आत्मकथ्य,) अनेक ऐसी रचनाएं हैं। जो अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।
भाषा – जयशंकर प्रसाद जी की भाषा हिन्दी, ब्रजभाषा एवं खडी बोली मुख्य है। इन्होने अपनी रचनाओं का श्रृंगार संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ किया है।
शैली – प्रसाद जी की शैली में वर्णनात्मक, भावात्मक, सुक्तिपरक, प्रतीकात्मक, एवं भावात्मक स्वरूप की छवि दिखाई पडती है। प्रसाद जी की काव्य शैली में परम्परागत तथा नव्य अभिव्यक्ति कौशल का सुन्द्र समावेश है।
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