Satsang Ke Parinam Essay In Hindi सत्संग के परिणाम पर निबंध बाेर्ड परीक्षा में पुछाा जाता हैै।
- प्रस्तावना
- सत्संग के परिणाम
- अच्छे विचारों का निर्माण
- निष्कर्ष
Satsang Ke Parinam Essay In Hindi
प्रस्तावना- सत्संग अर्थात सत्य का साथ(गुणवानों का साथ) जिनके द्वारा मनुष्य को परमात्मा के द्वारा कहे गये वचन, कोई सिद्ध पुरूष के द्वारा किये गये कामों के बारे में बताया जाता है। तथा साथ ही यह भी बताया जाता है कि अपने जीवन में किन प्रकार के कार्यों को महत्व देना आवश्यक है जिससे कि अन्य लोगों का भला हो सके। सत्संग से व्यक्ति के अंदर सहनशीलता का विकास होता है। मनुष्य बहुत शांत चित्त होने लगता है।
सत्संग के परिणाम –
अपने से बडे लोगों का आदर करने लगता है तथा साथ ही उनकी सहायता करने में भी नहीं कतराता है। सत्संग एक ईश्वरीय प्राप्ति का मार्ग भी होता है। जिसमें व्यक्तियों को ईश्वरीय प्राप्ति के बारे में बताया जाता है। तथा अपने दैनिक जीवन में समाज के किसी पक्ष से बैर भाव ना हो। एवं अपनापन बनाये रखने की सीख भी हमें मिलती है।
सत्संग के कई परिणाम होते हैं। जिसमें से अधिक सकारात्मक एवं अच्छे फल देने वाले होते हैं। व्यक्ति के द्वारा पालन करने पर ही लाभों की प्राप्ति मनुष्य के द्वारा की जा सकती है। इसके विपरीत कार्यों को महत्व देना एवं कृत्य करने से लाभ अच्छे प्राप्त नहीं होते हैं। सत्संग से मनुष्य में सोच,समझ,व्यक्तित्व का विकास होता है।
जिसके परिणाम समाज में अच्छे ही प्राप्त होते हैं। कई लोगों के द्वारा इसका मजाक बनाया जाता है। एवं बहुत से व्यक्ति जो ज्ञान देते हैं। वह स्वयं भी इसका पालन नहीं करते हैं। जिससे समाज में परेशानियां, दुविधाएं एवं मनुष्य के मन में उन चन्द लोगों के कारण से संदेह, शंका उत्पन्न होने लगती है।
किसी भी व्यक्ति को सत्संग में जो बात कहीं जाती है। जो भी सीखने की प्रेरणा दी जाती है। उसके अनुरूप ही कार्य करने चाहिए। अन्यथा इसके परिणाम बहुत घातक हो सकते हैं।
अच्छे विचारों का निर्माण-
सत्संग में रहने वाले लोगों को बार-बार यह सिखाया जाता है। कि आप अपने समाज के लोगों से अपने परिवार के सदस्यों के जैसा व्यवहार करें। जन भावना को समझें। अपने से बडों का आदर,सम्मान करें। किसी भी व्यक्ति के प्रति भेदभाव ना रखें। क्षमा करने की भावना अपने मन में रखें। इसी तरह के अच्छे विचारों अपने मन में संजोए रखें। ऐसी भांति-भांति की कलाओं के बारे में सिखाया जाता है। जिससे व्यक्ति के व्यक्तिव में निखार आता है।
वह समाज में एक दूसरे रूप में नजर आने लगता है। सत्संग से जुडे लोग जो इन सभी बातों एवं कृत्यों का अनुसरण करते हैं। उनके साथ रहने वाले मनुष्यों को कुछ ना कुछ लाभ मिलता ही है। समाज में पूछ होने लगती है। सत्संग का शरणार्थी समकालीन मित्र बंधू, एवं अन्य छोटे-बडे, गरीब-अमीर, सदस्य की कोई भी नकारात्मक विचारों से मुक्त कराने में सहायता कर ही देते हैं।
चूंकि सत्संग के शरणार्थीयों को अपने जीवन में किस प्रकार के कर्म करने हैं। एवं शांत चित्त रहने की जैसी बातों से अवगत कराया जाता है। तो उन्के सामने आने वाली परेशानियां उन्हे तुच्छ सी जान पडती हैं। एवं इसका उपचार वह निकाल लेते हैं। सत्संग के अनुसरण करने वाले लोगों स्वयं तो अच्छे विचारों का निर्माण करते ही हैं। साथ अपने समकालीन व्यक्तियों को अपनी सोच को शुद्ध रखने की प्रेरणा देते रहते हैं।
निष्कर्ष-
सत्संग से हमारे सामने विभिन्न प्रकार के निष्कर्ष निकल कर सामने आते हैं। जिनमें लोगों को एक सच्चे मार्ग पर चलना सिखाया जाता है। किसी भी मनुष्य से प्रेम भावना को बनाये रखना उनके लिये भलाई के कार्य करना इत्यादि सिखाया जाता है। सत्संग का अनुसरण करने वाला व्यक्ति अपने आप में तो पूर्ण होता ही है।
साथ ही वह अपने से अन्य लोगों को भी उसी मार्ग पर चलने की सलाह देता है। जिससे समाज एवं व्यक्तियों का उद्धार हो सके। समाज में बढ रहे अपराधों को कम करने में सत्संग का एक उचित मार्ग सामने प्रकट होता है। जिसके अनुसरण से मनुष्य अपने अंदर ही अंदर विचार करने पर मजबूर हो जाता है।
जिसके कारण से उसे आत्म ज्ञान की प्राप्ति होती है। और धीरे-धीरे वह सभी लोगों को अपने परिवार के सदस्यों के रूप में देखने लगता है। एवं सभी लोगों को उद्धार करना उसका लक्ष्य बन जाता है। वह ईश्वरीय साधनों में भी रूचि लेता है।
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