ENVIRONMENTAL POLLUTION ESSAY IN HINDI 250 & 500 WORLD
प्रस्तावना- पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है कि हमारे आस-पास के वातावरण के वायु, जल मिट्टी आ कई ऐसे अवांछित द्रव्यों से दूषित हो जाना। जिसका हमारे मनुष्य जीवन या फिर जीव-जन्तुओं एवं पक्षियों के जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहुत ही घातक प्रभाव देखने को मिलता है। पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारकों को उत्पन्न करने में मनुष्य की आवश्यकता एवं स्वयं के स्वार्थ का ही परिणाम है। जो आज निर्दोष व्यक्तियों को भुगतना पड़ रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने तथा कम करने के लिये नई तकनीकों द्वारा प्रयास भी हमारे आधुनिक जीवन में किये जा रहे हैं। जिससे जीवन के पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान होने से बचाया जा सके। पर आधुनिक जीवन में पर्यावरण प्रदूषण करने वाले उपकरणों की संख्या में इसकी आवश्यकता को देखते हुए बढोत्तरी भी होती जा रही है। जिन उपकरणों से पर्यावरण प्रदूषण होता है उनका बहुत हद तक कम उपयोग करना और बिल्कुल भी उपयोग हमारे द्वारा अधिक ना हो सके यह सावधानियां रखकर हमारे द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रण में रखना।
पर्यावरण में प्रदूषित होने वाले तत्व- पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले तत्व बहुत से हैं एवं पर्यावरण के तत्व भी निम्न प्रकार के हैं। जैसे वायु प्रदूषण (शुद्ध वायु का दूषित होना), जल प्रदूषण(शुद्ध जल का दूषित होना), मृदा प्रदूषण(उर्वरक मिट्टी का दूषित होना या बंजर भूमि में परिवर्तित हो जाना), तथा हमारे जीवनीय वायुमंडल को तथा इसके अंतर्गत आपने वाली परतों को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व ही पर्यावरण प्रदूषण के तत्व होते हैं।
ENVIRONMENTAL POLLUTION ESSAY IN HINDI 250 & 500 WORLD
पर्यावरण को प्रदूषण करने वाले कारक – पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले अनेक कारक होते हैं/हो सकते हैं। वायु का प्रदूषण इस प्रदूषण में मनुष्य के जीवन के लिये उपयोगी ऑक्सीजन O2 का प्रदूषण एवं वातावरण में फैली हुई समस्त वायु(समस्त गैसों) में कई विषैली गैसों के कण फैल जाना जिसके कारण फैफडों के रोग, आंखों के रोग होते हैं।
जल प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण होता है जिसमें जल दूषित होता है। जल H2O जो मनुष्य एवं अन्य सभी जीवों के लिये एक आवश्यक तत्व है। को कई प्रकार से प्रदूषित किया जाता है। पीने के पानी एवं दैनिक जीवन में उपयोगी जल (नदियों, कुओं, तालाबों, नहरों, बडे बांधों, झीलों) में कई प्रकार के जल में घुलनशील एवं अघुलनशील प्रदूषक तत्वों को प्रवाहित करके जल प्रदूषित किया जाता है।
मृदा प्रदूषण इस प्रकार के प्रदूषण में उर्वरक मृदा में कई प्रकार के रासायनिक खाद डालकर, ना गलने वाली वस्तुओं को दबाकर, हानिकारक छिडकाव करके, फेक्ट्रीयों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ से मृदा प्रदूषित की जा रही है। जिससे मृदा की उपजाऊ क्षमता में कमी आती है। एवं उस स्थान की मृदा की अपनी उपजाऊ क्षमता समाप्त हो जाती है एवं भूमि बंजर हो जाती है।
Paryavaran Pradushan Niband in Hindi 2021
प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारकों के नाम- वायु को दूषित करने वाले कारकों के नाम निम्न हैं- कारों एवं अन्य वाहनों से निकलने वाला धुआं (COकार्बनमोनो ऑक्साइड) वस्त्रोउद्योग, रासायनिक सामग्री, या अन्य प्रकार की फैक्ट्रीयों की चिमनियों से निकलने वाले धूएं एवं विषैली रासायनिक गैस, पटाखों के फोडने पर निकलने वाले धुएं आस-पास पडी हुई पॉलीथिन(पन्नी), प्लास्टिक, एवं कपडे इत्यादि को जलाने पर उत्पन्न कार्बनडाई ऑक्साइड गैस
अन्य प्रकार की विषैली गैस, जल को दूषिक करने वाले कारकों के नाम- जल के स्त्रोतों में फैक्ट्रीयों के द्वारा अपशिष्ट पदार्थों के प्रवाहित करने, जल स्त्रोत में कचरा फेंकने, जल में रासायनिक पदार्थों के डालना, नालियों/नालों को पीने के पानी के स्त्रोतों की तरफ मोडकर, नदी तालाबों में जीव जन्तुओं को नहलवाकर, मानव मल का नदियों में विसर्जन, मानव शवों को प्रवाहित करना इत्यादि।
मृदा को प्रदूषित करने वाले कारकों के नाम- उपजाऊ मिट्टी में ना गलने वाली वस्तुएं (पॉलिथिन, प्लास्टिक, कपडे, लकडी, धातु, कांच, सीमेंट, सेरामिक इत्यादि) को फेंककर, मृदा में रासायनिक छिडकाव, खादानों से निकलने वाले ठोस कचने का विसर्जन, कागज चिनी मिलों से निकलने वाले विषैले पदार्थों के निपटान इत्यादि।
प्रदूषण को रोकन के उपाये
रोकने के उपाये– वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय- आवागमन के साधनों का बहुत ही कम से कम उपयोग करके, अधिक से अधिक पेड-पौधे लगाकर, खूले स्थानों में कूडा ना जालायें, जनता युक्त स्थानों पर सिगरेट/बीडी ना पियें, कारखानों से निकलने वाले धुएं (सल्फरडाई आक्साइड) पर सरकार द्वारा नियंत्रण, वायु को शुद्ध करने के लिये अत्याधिक पेड पौधे लागाकर, वायु शोधकों का सरकार द्वारा प्रयोग करवाकर, इत्यादि।
जल प्रदूषण को रोकने के उपाय– नदियों में चलने वाली ईंधन युक्त नावों का कम प्रयोग, नदियों या पीने के कोई भी स्त्रोत में कूडा ना डालकर, जल स्त्रोत में रासायनिक पदार्थों का प्रयोग ना करें, जल में अघुनशील वस्तुओं को ना डालें, मल का विसर्जन ना करें। फैक्ट्रीयों से प्रवाहित होने वाले रासायनिक अपशिष्ट पर सरकार द्वारा प्रतिबंध, पीने वाले पानी के स्त्रोत में जल शुद्ध करने वाले पदार्थ जैसे फिटकरी, बिलीचिंग पाउडर डालकर इत्यादि।
मृदा प्रदूषण को रोकने के उपाय- खदानों से निकलने वाले ठोसों का उपजाऊ मृदा में निपटान करने पर प्रतिबंध, मृदा में अघुलनशील वस्तु पॉलीथिन, प्लास्टिक जैसे पदार्थों का निपटान ना करके, उपजाऊ मृदा में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कम करना, समय समय पर मृदा में जैविक खाद
विज्ञान के चमत्कार पर निबंध हिंदी में
Wonder of Science essay in English
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.